Posts

Showing posts from November, 2013

रात का मुसाफ़िर

Image
रात का मुसाफ़िर  सर्द हवा की  चुभन से बढ़ रहे हौसले मेरे, स्वप्न है  या नींद में एकांत में कभी भीड़ में चल रहा हुँ  इस उम्मीद में कि मुसाफिर हुँ  रात का। पिछड़ गया रफ़्तार से निकल गया तकरार से और मुक्त हुँ  भीख मांगती निगाओं की अपेक्षाओं के बौछार से चल रहा हुँ  इस उम्मीद में कि मुसाफिर हुँ ज़ज्बात  का। - हरीश बेंजवा